विदिशा. मध्य प्रदेश के 35 साल के एक शख्स ने जेल में व्यावसायिक कौशल के रूप में प्रिंटिंग का काम सीखा और अपनी रिहाई के बाद एक नए धंधे में शामिल हो गया. पुलिस ने बताया कि अपनी आजीविका के लिए प्रिंटिंग के कौशल का उपयोग करने के बजाय वह शख्स नकली नोट छापने लगा. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि भूपेन्द्र सिंह धकत की अपराध की दुनिया में वापसी का तब पता लगा जब पुलिस ने शनिवार को उसे गिरफ्तार कर लिया और 200 रुपये के 95 नकली नोट बरामद किए.
सिरोंज के पुलिस उपमंडल अधिकारी उमेश तिवारी ने बताया कि आरोपी के घर से एक रंगीन प्रिंटर, स्याही की छह बोतलें और नकली नोट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कागज भी बरामद किया गया. पुलिस के मुताबिक धकत ने कबूल किया है कि वह पिछले कुछ महीनों से नकली नोट छाप रहा था और इन्हें जिले के बाजार में चला रहा था. तिवारी ने कहा कि धकत हत्या सहित 11 आपराधिक मामलों में शामिल रहा है और वह जेल में भीतर बाहर होता रहता है.
उन्होंने कहा, जिले की जेल में अपनी पिछली कैद के दौरान धकत ने एक व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में प्रिंटिंग कौशल हासिल किया, जो कैदियों को उनकी रिहाई के बाद समाज की मुख्य धारा में फिर से शामिल होने में सहायता करने के लिए बनाया गया था. हालांकि, धकत ने अपने नए अर्जित कौशल को तुरत फुरत पैसा कमाने के अवैध धंधे में बदल लिया.
एक पुलिस सूत्र ने बताया कि अक्टूबर 2003 में उसे विदिशा, राजगढ़, रायसेन, भोपाल और अशोक नगर जिलों की सीमाओं से एक साल के लिए जिला बदर कर दिया गया था, लेकिन वह किसी तरह यहीं रहकर नकली नोट छापने में कामयाब रहा. विदिशा जेल अधीक्षक प्रियदर्शन श्रीवास्तव के अनुसार, कैदियों को रिहाई के बाद आजीविका चलाने में मदद करने के लिए ऑफ-सेट प्रिंटिंग और स्क्रीन प्रिंटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : March 24, 2024, 22:59 IST