मृतक के चाचा रामानंद केसरी बताते हैं कि वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल आता था. क्लास में हुई प्रायोगिक परीक्षा के दौरान वह हमेशा 1 से 5 के बीच स्थान लेकर आता था जिस वजह से उसके दुश्मन भी बहुत बनते जा रहे थे. इसी क्रम में एक दोस्त ने जयपुर जाने की योजना बनाई और उसे साथ ले गया.
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